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मादा बाघिन का कोई अंग नहीं था गायब

समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया
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0 कैसे मरी मादा बाघिन . . . 2
मादा बाघिन का कोई अंग नहीं था गायब
0 डीडी और एसडीओ को नहीं मिला शो कॉज़!
(अय्यूब कुरैशी)
सिवनी (साई)। खवासा वृत्त में 30 नवंबर को संदिग्ध हालत में मृत पाई गई मादा बाघिन की मौत जहर से नहीं हुई तो कैसे हुई? इस रहस्य से पर्दा अभी भी नहीं हट पाया है। मादा बाघिन के शरीर का कोई भी अंग गायब नहीं था, इससे लग रहा है कि इस मादा बाघिन की मौत या तो सामान्य परिस्थितियों में हुई या फिर शिकारियों को अंग निकालने का मौका नहीं मिल पाया।
ज्ञातव्य है कि 27 नवंबर को एक नर बाघ के द्वारा एक गाय का शिकार किया गया था। इसके तीन दिनों के उपरांत एक मादा बाघिन, पास ही में मृत पाई गई। उस वक्त अंदाजा लगाया जा रहा था कि जिस बाघ ने गाय का शिकार किया है वह जहर का शिकार हो गया। बाद में साफ हुआ था कि जिस बाघ ने गाय का शिकार किया था वह नर था और जो मृत अवस्था में मिली थी वह मादा थी।
वन विभाग के सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि सतही तौर पर वनाधिकारियों के द्वारा मृत बाघ का निरीक्षण किया गया और पाया गया कि उसके शरीर का कोई भी अंग गायब नहीं था। सूत्रों का कहना है कि इससे दो बातें सामने आ रही हैं कि या तो मादा बाघ की मौत सामान्य परिस्थितियों में हुई थी और अगर उसका शिकार किया गया तो मादा बाघ के शरीर के हिस्से निकालने का मौका शिकारियों को नहीं मिल पाया।
सूत्रों ने यह भी बताया कि इस मादा बाघ के शरीर से शव परीक्षण के उपरांत बिसरा जांच हेतु सागर भेजा गया था। सागर से यह रिपोर्ट आ चुकी है कि मादा बाघ की मौत जहर से नहीं हुई है। अब उसके बचे हुए बिसरा को सागर से वापस बुलवाकर उसे सागर एवं हैदराबाद की हिस्टोलॉजिस्ट लैब में भेजा जाएगा ताकि यह पता किया जा सके कि उसकी मौत का असली कारण क्या है।
सूत्रों ने आगे बताया कि जैसे ही मादा बाघिन की मौत पर बवाल मचना आरंभ हुआ वैसे ही सिवनी के मुख्य वन संरक्षक संजय शुक्ला के द्वारा खवासा की रेंजर कृष्णा वर्मा सहित चार कर्मचारियों को स्थानांतरित कर दिया गया था। मामला जब कुछ विवादित होता दिखा तो सीसीएफ के द्वारा बाद में प्रभारी डिप्टी रेंजर दीपक मिश्रा को भी हटा दिया गया।
सूत्रों ने बताया कि 30 नवंबर को कंपार्टमेंट नंबर आरएफ 326 में जिस मादा बाघ का शव मिला था उसे देखकर यह प्रतीत हो रहा था कि उसकी मौत 24 से 26 नवंबर के बीच कभी हुई थी।
समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के भोपाल ब्यूरो से नन्द किशोर ने वन विभाग के सूत्रों के हवाले से बताया कि अमूमन अगर रेंज ऑफिसर के साथ पूरा का पूरा अमला हटाया जाता है तो वन मण्डल अधिकारी और अनुविभागीय अधिकारी वन स्तर के अधिकारियों को कम से कम शो कॉज़ नोटिस अवश्य ही जारी किया जाता है। सूत्रों ने बताया कि चूंकि इस मामले में प्रदेश स्तर से किसी तरह की कार्यवाही को अंजाम नहीं दिया गया है, अतः एसडीओ या डिप्टी डायरेक्टर को शो कॉज़ नोटिस जारी शायद नहीं किया गया है।
(क्रमशः जारी)

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