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गौशाला में पानी के अभाव में तड़प रही गौमाताएं!

समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया
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(शरद खरे)


सिवनी (साई)। सिवनी में गौशाल में पानी के अभाव में गौमाताएं बुरी तरह तड़प रही हैं। यह बात मातृशक्ति संगठन के गौशालाओं के निरीक्षण के दौरान सामने आई है।

मातृशक्ति संगठन के सदस्य नगर से कुछ दूरी पर स्थित गौशाला के भ्रमण पर पिछले एक माह से जा रहे है। संगठन को यकीन ही नही हो पा रहा था कि कत्ल खाने ले जाने वाली इन गायों को छुडवाकर गौशाला मे जीवन देने के लिए लाया जाता है या तड़पा तड़पा कर मारने के लिए ?

प्राप्त जानकारी के अनुसार सभी जानकारियों को पुख्ता कर लेने के बाद संगठन ने गौशाला समिति के साथ एक मीटिंग रखने का और उन्हें कुछ सुझाव देने का निश्चय किया, ताकि हम सब मिलकर इन मूक जानवरो के हित मे कुछ कर पाऐं। किन्तु अत्यंत दुख की बात है कि गौशाला समिति ने मिटिंग मे उपस्थित होने से साफ इंकार कर दिया। नगर के कुछ जागरूक प्रबुद्धजनो ने मीटिंग मे अपनी उपस्थिती दी और गौशाला की बदहाली पर दुख भी प्रकट किया। कुछ ठोस कदम उठाने की अपील भी की।

संगठन द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि भीषण गर्मी मे गर्म फर्श पर खुले मे पड़ी हुई तड़पती हुई गायें संगठन ने अपनी ऑखो से देखा। हृदय बिदारक इस दृश्य को देखकर संगठन के कुछ सदस्य तो बाहर निकल गए, कुछ ने हिम्मत की और कर्मचारीयों से बात की। कर्मचारियों ने संगठन की महिलाओं से बदशलूकी भी की और गलत जबाव भी दिए।

कर्मचारियों का कहना था कि ये सब गायें अंतिम सांसे ले रही है हम कुछ नही कर सकते। पर संगठन ने दौड़ दौड़ कर गायों को पानी पिलाया और वे सभी गाये उठकर खड़ी हो गई। तब संगठन एवं कर्मचारियों के बीच माहोल और भी गरमाया। क्या इन्हे पानी पिलाने वाला भी कोई नही ? गौशाला के सभी कर्मचारी गौशाला ट्रस्ट के पदाधिकारियों के घरो मे काम करते है। गौशाला मे कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति की उपस्थित होती ही नही।

डॉ. ज्योति बाला जैन जिनकी हफ्ते मे दो बार गौशाला जाने की ड्यूटी है वो वहॉ जाती ही नही। दूसरे डॉ. चौकसे जो अपनी ड्यूटी के वक्त वहॉ जाते तो है पर गौशाला मे कोई कर्मचारी नही होने से इलाज किन गायो का होना है डॉ। को पता ही नही चलता। खून से लथपथ गायो के संबंध में जब संगठन ने डॉ। से बात की तो उन्होने बताया कि डॉक्टर को इस विषय मे किसी ने खबर नही दी, अन्ततः वो गाये मर गई। धूप मे तड़पती बीमार गायो को शेड मे रखने के लिए आज तक किसी ने कहा ही नही ऐसा गौशाला के कर्मचारी खुद कहते है।

संगठन ने खुद वहॉ खड़े रहकर बीमार गायो को शेड मे रखवाया है। बिजली खराब होने की स्थिति में जानवर दो दिन तक प्यासे रहे, समिति के सदस्यगण वहॉ देखने जाते ही नही। वो अपने आपको व्यवसाय मे व्यस्त बताते है। उनकी व्यस्तता का परिणाम है कि आज से तीन साल पहले की स्वर्ग के समान गौशाला आज नरक मे बदल गई है।

संगठन ने गौशाला परिसर में वहॉ के कर्मचारियों को अनैतिक और अमर्यादित क्रिया कलापों मे लिप्त भी देखा है जो इस पावन स्थल पर अत्यंत निदंनीय है। संगठन इस रिपोर्ट को माननीय मुख्य मंत्री शिवराज सिंह जी चौहान और श्रीमति मेनका गांधी जो कि पशु सुरक्षा हेतु कटिबद्ध है, को सौपने जा रहा है। मूक पशुओ की करूणामयी ऑखे न्याय की प्रतिक्षा मे है, निरीह गायों को तत्काल न्याय मिले, हम सभी सिवनी के भावुक हृदय प्रबुद्ध नागरिकों से सहयोग की अपेक्षा करते है।

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